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Friday, December 16, 2016

इन 7 जरुरी तरीकों से बनाएं नेट बैंकिंग को सुरक्षित


- नोटबंदी के बाद भले ही कैशलेस को बढ़ावा मिल रहा हो मगर ऐसे लोगों की संख्या भी कम नहीं है जो ऑनलाइन ट्रांजेक्शन यानी ऑनलाइन लेनदेन से घबारते हैं. 

- अक्सर ऐसे यूजर को चिंता सताती है कि कहीं कोई उनके एटीएम कार्ड की जानकारी सेव करके बैंक खाते में सेंध न लगा दे. ध्यान रहे कि साइबर संसार में कुछ एप और सॉफ्टवेयर ऐसे हैं जो कंप्यूटर पर टाइप होने वाले सभी बटन की जानकारी का डाटा तैयार करते हैं. 

- इससे वह आपके कार्ड की जानकारी सेव कर सकते हैं. इस समस्या से बचने के लिए यूजर ऑन स्क्रीन कीबोर्ड और इकॉग्निटो टैब का प्रयोग कर सकते हैं. 

#ऐसे अपने ऑनलाइन लेनदेन को सुरक्षित बनाया जा सकता है


1. फिशिंग एक टेक्निकल शब्द है, जिसे किसी घपले या घोटाले के लिए इस्तेमाल किया जाता है। जब कोई फ्रॉड व्यक्ति या संस्था आपको फर्जी ई-मेल भेजती है तो इसे फिशिंग कह सकते हैं। ये ई-मेल बिल्कुल विश्वसनीय जैसे लगते हैं और इसके जरिए आपका बैंक अकाउंट नंबर, पासवर्ड और कई व्यक्तिगत जानकारी मांगी जा सकती है। ऐसे ई-मेल से हमेशा सावधान रहें और इनमें दिए गए लिंक्स (links) पर क्लिक न करें।


2. इंटरनेट के प्रयोग के समय किसी भी संदिग्ध लिंक पर क्लिक न करें। किसी भी लुभावने ऑफर को देखकर उसपर क्लिक करना और उसमें दिए गए निर्देशों पर अमल करना खतरे का काम होता है। इससे आपकी कई व्यक्तिगत जानकारियां फ्रॉड लोगों तक पहुंच जाती है।


3. कुछ समय के अंतराल पर अपने बैंक अकाउंट पासवर्ड को बदल लेना सही होता है। पासवर्ड हमेशा लंबा और मिक्स टाइप का रखें। नंबर के साथ अंग्रेजी कैरेक्टर का पासवर्ड में मित्रित इसतेमाल करना काफी अच्छा माना जाता है। इससे आपका अकाउंट जल्दी हैक नहीं हो सकता है। असुरक्षित (unsecured) वाई-फाई में ऑनलाइन बैंकिंग न करें और इसके लिए हमेशा अपने निजी कंप्यूटर का इस्तेमाल करें। अपने पासवर्ड को डायरी या मोबाइल में न दर्ज करें।

-Ab Credit ya Debit Card bina, Adhar se ese kare Payment


4. अपने बैंक अकाउंट के आईडी और पासवर्ड का इस्तेमाल किसी भी वेबसाइट पर तभी करें जब ऊपर यूआरएल (url) पर लॉक का चिन्ह दिखाई दे। ये आपके पासवर्ड को गुप्त रखता है। इस चिन्ह से पता चलता है की जिस वेबसाइट पर आप काम कर रहे हैं वो सुरक्षित है।


5. अपने कंप्यूटर को छोड़ किसी अन्य व्यक्ति का कंप्यूटर या लैपटॉप इस्तेमाल कर रहे हैं तो बैंक अकाउंट में लॉग-इन करके बिलों का ऑनलाइन भुगतान करते वक्त ऑनस्क्रीन कीबोर्ड यानी कि वर्चुअल कीबोर्ड का प्रयोग करना चाहिए. इस कीबोर्ड को कंप्यूटर पर खोलने के लिए उसके ‘स्टार्ट मेन्यू’ में जाएं और वहां दिए ‘प्रोग्राम’ पर क्लिक करें. इससे आपको ‘वर्चुअल कीबोर्ड’ का विकल्प मिलेगा. कीबोर्ड खोजने में दिक्कत आए तो सर्च बार में on screen keyboard टाइप करके भी देख सकते हैं. वर्चुअल कीबोर्ड पर माउस से क्लिक करके अक्षर और अंकों को टाइप किया जा सकता है. इसमें भी सेटिंग का विकल्प है जिसको यूजर अपने मनमुताबिक बदल सकते हैं.


6. मुफ्त में मिलने वाले इंटरनेट की लालच में यूजर अक्सर सार्वजनिक स्थलों, होटल-रेस्तरां, रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट आदि पर मिलने वाली वाई-फाई सुविधा का इस्तेमाल करते हैं. हालांकि कई मामलों में ऐसे वाई-फाई कनेक्शन असुरक्षित भी होते हैं. मिसाल के तौर पर रेलवे स्टेशन पर जो मुफ्त वाई-फाई है वह जरूरी नहीं है रेलवे मंत्रालय की ओर दिया जा रहा हो. कई बार हैकर उस यूजरनेम से जुड़ा हुआ एक नाम तैयार कर लेते हैं और उससे मुफ्त वाई-फाई देकर फोन से जरूरी जानकारी चुरा लेते हैं या लेनदेन के दौरान वह आपके बैंक खाते पर सेंध भी लगा सकते हैं. इनसे बचने के लिए मोबाइल फोन में एंटी-वायरस सॉफ्टवेयर और ऑपरेटिंग सिस्टम को समय-समय पर अपडेट करते रहें.


7. बैंकिंग या ट्रांजेक्शन के लिए आप गूगल क्रोम ब्राउजर में इनकॉग्निटो और इंटरनेट एक्सप्लोरर में प्राइवेट ब्राउजिंग मोड का सहारा ले सकते हैं. क्रोम यूजर इनकॉग्निटो टैब को खोलने के लिए स्क्रीन पर ऊपर के हिस्से में दाईं ओर दिए तीन लाइनों वाले विकल्प पर क्लिक करें और इनकॉग्निटो टैब पर जाएं. इस टैब पर की गई ब्राउजिंग हिस्ट्री, ब्राउजर बंद करते ही डिलीट हो जाती है. सिस्टम दोबारा खोलने पर यह दिखाई नहीं देती. यानी हिस्ट्री के आधार पर कोई आपके अकाउंट में सेंध लगाने की कोशिश नहीं कर सकता. इनकॉग्निटो टैब की पहचान एक टॉपी और चश्मा लगाए एक व्यक्ति होता है जो ऊपर बाईं ओर दिखाई देता है.

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